
सावन का आगाज़ हुआ और शिवमय माहौल के बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने गोरखनाथ मंदिर परिसर स्थित अपने शक्तिपीठ में शास्त्रोक्त विधि-विधान से रुद्राभिषेक किया। शुक्रवार सुबह यह अनुष्ठान वैदिक मंत्रोच्चार के साथ प्रारंभ हुआ, जो पूरे वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर गया।
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रुद्राभिषेक में अर्पित किए बेलपत्र, दुर्वा और ऋतुफल
पूजन के दौरान मुख्यमंत्री योगी ने भगवान शिव को बेलपत्र, दुर्वा, मदार के पत्र, कमल पुष्प सहित अनेक पूजन सामग्री अर्पित की। इसके पश्चात शुद्ध जल, गाय का दूध और ऋतुफलों के रस से भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया गया।
पूरे अनुष्ठान का संचालन गोरखनाथ मंदिर के आचार्यगण और पुरोहितों ने किया, जिन्होंने शुक्ल यजुर्वेद संहिता के रुद्राष्टाध्यायी मंत्रों का उच्चारण कर रुद्राभिषेक को पूर्णता प्रदान की।
वैदिक हवन के साथ संपन्न हुआ पूजन
रुद्राभिषेक के बाद मुख्यमंत्री योगी ने शक्तिपीठ परिसर में ही वैदिक हवन भी संपन्न किया। आचार्यगणों के सान्निध्य में अग्नि देवता के समक्ष आहुति अर्पित करते हुए उन्होंने संपूर्ण विश्व और विशेष रूप से उत्तर प्रदेश की जनता के सुख, समृद्धि, आरोग्य और कल्याण की कामना की। योगी आदित्यनाथ का यह धार्मिक आयोजन न केवल श्रद्धा और परंपरा का प्रतीक है, बल्कि जन-कल्याण के प्रति उनके समर्पण का भी सशक्त संदेश देता है।
धर्म और प्रशासन का समन्वय
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भक्ति और कार्यशैली इस बात को प्रमाणित करती है कि धर्म और प्रशासनिक उत्तरदायित्व एक-दूसरे के विरोधी नहीं, बल्कि एक-दूसरे के पूरक हो सकते हैं। रुद्राभिषेक जैसा अध्यात्मिक अनुष्ठान जनता के विश्वास को गहरा करता है और शासन में आध्यात्मिकता का स्थान सुनिश्चित करता है।
शिवभक्ति से शुरू हुआ सावन, कल्याण का संदेश लेकर
सावन का यह शुभारंभ केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं था, बल्कि एक संदेश था — कि शासन, जब भक्ति और सेवा भाव के साथ जुड़े, तो जनमानस में विश्वास, सकारात्मकता और ऊर्जा का संचार होता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सावन की शुरुआत महादेव को समर्पित कर प्रदेश के उज्ज्वल, आरोग्यमय भविष्य की प्रार्थना की — और यही है असली नेतृत्व का शिवतत्व।
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